YouTube aur TV mein kya better hai? | पूरी तुलना और सही चुनाव

YouTube aur TV mein kya better hai? | पूरी तुलना और सही चुनाव आजकल हर कोई सोचता है—YouTube बढ़िया है या TV? दोनों की अपनी खासियतें हैं

TV पर प्रोग्राम सेट टाइम पर आते हैं जबकि YouTube पर कुछ भी, कभी भी देख सकते हैं इस पोस्ट में हम दोनों का आसानी से तुलना करेंगे ताकि आपको सही चुनाव करने में मदद मिले!

YouTube versus Television नमस्कार दोस्तों आज हम आपके लिए एक नई और शानदार लेख लेकर आये जिसमे हम आपको बताएँगे की टेलीविजन छोड़िये और यूट्यूब को चुनिए।

टेलीविज़न देखना सबको पसंद है और पसंद क्यों न हो हम इसके माध्यम से नई-2 चीजों को देखते हैं। और उनके बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी लेते हैं।

भले ही टेक्नोलॉजी का कितना भी विकास हो चुका है, और आज के इस आधुनिक दौर में इंसान के पास मनोरंजन के बोहोत साधनों के बावजूद भी हमारे देश का एक बड़ा तबका television से चिपका रहता है। इस मामले में बच्चे तो बच्चे बड़े भी पीछे नहीं है।

YouTube aur TV mein kya better hai
YouTube aur TV mein kya better hai

YouTube aur TV mein kya better hai

लेकिन जहाँ tv मनोरंजन का एक बहुत बड़ा साधन हैं वहीं इसके बोहोत सारे नुकसान भी है। 

जिन्हें हम अनदेखा नहीं कर सकते। वैसे ये बात तो हम सभी जानते हैं कि अति तो चाहे किसी भी चीज़ की हो बुरी ही होती है।

ठीक इसी तरह से t.v की अति भी हमें शारिरिक और सबसे ज्यादा मानसिक नुकसान पहुँचा रही है।

आइये जानते है tv से जुडी वो बातें जिन बातों पर हमारा ध्यान नहीं जाता लेकिन वो हमें कहीं न कहीं नुकसान पहुँचा रही है। इस और आपका ध्यान ले जाने की कोशिश करूँगा।

इस कड़ी में सबसे पहले जिक्र करते हैं आपके और हमारे नटखट शैतान बच्चों के बारे में।

read also

  1. ईमेल और जीमेल में क्या फर्क है? जानें प्रमुख अंतर | difference between email and gmail
  2. पासवर्ड को हिंदी में क्या कहते हैं? | password ko hindi mein kya kahate hain
  3. Life Me Safal Kaise Bane ? | जानें सफलता के आसान और असरदार तरीके
  4. life ko successful kaise banaye in hindi | जानें कामयाब ज़िंदगी के आसान तरीके

  TV ke fayde aur nuksan | टीवी के नुकसान बच्चों पर दुष्प्रभाव

आज के समय  के बच्चे tv कुछ ज्यादा ही देखते हैं फिर चाहे उनकी पसंद का कार्टून हो या कोई और सीरियल। बात अग़र कार्टून तक ही सीमित हो तो भी देखा जाए। लेक़िन आज बच्चों की choice बदल गयी है।

क्योंकि आज देश में सैंकड़ों tv चैनल हैं और उनमें आने वाले प्रोग्राम की संख्या हज़ारों में एक प्रोग्राम  खत्म होता नहीं दूसरा शुरु हो जाता है क्या देखें क्या नहीं समझ ही नहीं आता।

जब बड़ो को ही समझ नहीं आता तो बच्चों को कैसे समझ आएगा। और परिणामस्वरूप अब बच्चे भी 18+ चैनल देख रहे हैं।

जो माता-पिता अपने बच्चों पर नज़र रखते हैं। तो वो निश्चिंत हो जाते हैं के हम तो नज़र रख रहे हैं।

लेकिन उनकी गैरहाजिरी में वो ऐसे चैनल देखते हैं। जिसका बच्चों पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है।

ईश्वर ने प्रकर्ति का नियम बनाया है कि जिस चीज़ का जो समय है वो चीज़ उसी समय परिपक्व होती है

अगर उसके पहले या बाद में अगर उस चीज़ का उपभोग होगा तो दोनों ही condition में नुकसान ही उठाना पड़ेगा। ऐसा ही बच्चों के मामले में हो रहा है।

बच्चे समय से पहले अच्छी बुरी सारी चीजें सीख रहे हैं और उनको impliment भी कर रहे हैं।

जो एक चिन्ता का विषय है और इसके बच्चों को भी और उनके माता-पिता को भी गंभीर परिणाम भुगतने पड़ रहे हैं इसको हम नकार नहीं सकते।

दुसरा ये की आजकल आप देखोगे तो पाओगे की ज्यादातर सीरियल में एक दूसरे के खिलाफ षड्यंत्र रचने वाले प्रोग्राम की भरमार है।

YouTube vs Television comparison in Hindi

कोई ननद षड्यंत्रकारी है कोई भाभी, कहीं सासु मां , जैसे रिश्तों को नेगेटिव किरदार में दिखाकर उनकी गरिमा को धूमिल किया जा रहा है

मतलब हर तरफ परिवार में कहीं खींचतान या  कहीं खून खराबा के अलावा कुछ और दिखाते ही नहीं ये लोग।

कहीं पति के किसी दूसरी औरत के साथ नाजायज सम्बन्ध तो कहीं पत्नी किसी और के साथ…या फिर कहीं मार-दहाड़ कुल मिलाकर चैनलों को  मसाला चाहिये आपके आगे परोसने के लिए।

अगर इस तरीके के प्रोग्राम बच्चे देखेंगें तो उन पर इसका सकारात्मक असर कैसे हो सकता है।

जरा सोचिए। आजकल के बच्चें इन्हीं को देखकर ऐसी -2 घटनाओं को अंजाम दे रहे है। कि बड़े भी हैरान हो जायें। ये सब tv का ही दुष्परिणाम है।

 YouTube ya TV par entertainment kaun sa accha hai | टीवी के नुकसान अंधविश्वास को बढ़ावा

कई चैनल पर इस तरह के प्रोग्राम चल रहे हैं जो अंधविश्वास को जबरदस्त तरीके से बढ़ावा दे रहे हैं।

जिसमें कभी कोई तांत्रिक या ओझा को दिखाया जाता है, तो कभी कोई इच्छाधारी नागिन को। तांत्रिक किसी को भी भभूत दे देता है।

जिससे आदमी के मन की मुराद पूरी होती दिखाई जाती है कभी किसी सीरियल में बाबा को दिखाया जाता है।

जो झाड़फूंक करता है या अपने बेतुके हल बताकर लोगों को मूर्ख बनाता है और कमाल की बात तो ये है लोगों को उनकी बात को मानते हुए भी दिखाया जाता है।

बिना तर्क और संदेह के और बच्चे उन सब बातों को सच मान लेते हैं कभी किसी लडक़ी को परी बनते दिखाया जाता है,

कभी किसी औरत को डायन जिसके पैर उल्टे हैं इन सब तरह की कहानियाँ बच्चों के कोमल मन और दिमाग में एकदम गहरा असर करती हैं।

और जाने-अनजाने बच्चे ही नहीं बड़े भी इन पर यकीन करने लग जाते है जिसका असर आदमी के over all व्यक्तित्तव पर पड़ता है।

जिसके परिणाम हमें देर सबेर भुगतने पड़ते हैं। जिसका ज्यादातर हमें एहसास नहीं होता।

हम सोचते है क्या फर्क पड़ता है इनसे , ये तो एक कहानी है बस जिसे फिल्माया गया है।

लेकिन ऐसा है नहीं पढ़े लिखे समझदार लोग तो फिर भी समझ जाते है कि ये सिर्फ एक कल्पना है

लेकिन जो लोग कम पढ़े – लिखे या अनपढ़ हैं या उस  मानसिकता के स्तर पर नहीं है कि इस सब मायाजाल को समझ सकें।

उनको तो सब सच ही लगता है। तो फिर हम बच्चों से कैसे उम्मीद रख सकते है कि वो इस चक्रव्यूह को समझ पाएँगे।

अगर आपको शक है इसकी सत्यता पर तो अभी कुछ दिन पहले की घटना आपको याद दिलाना चाहूँगा।

YouTube ya TV par entertainment kaun sa accha hai टेलीविजन छोड़िये

पहला केस …1 जुलाई बुराडी केस तो सबको याद ही होगा। किस तरीके से  भाटिया परिवार के 11 लोगों ने सामुहिक रूप से फाँसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी।

न्यूज़ चैनल्स , पुलिस और जाँच एजेंसी के खुलासे में बताया गया कि ये सब उन्होंने मोक्ष पाने के लिए किया। ध्यान रहे ये कोई अनपढ़ नहीं सब पढ़े लिखे लोग थे।

इनकी वीडियो सोशल मीडिया पर  वायरल भी हुई थी। बाद में इनकी सारी कहानियों के पीछे तंत्र-मंत्र, पर हद से ज्यादा विश्वास का खुलासा हुआ। उनके इसी अंध्विश्वास ने  सब 11 लोगों की जान ले ली

दूसरा… 2013 में राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले में एक परिवार के लोग देवों के देव महादेव सीरियल से इतने प्रभावित हुए। की हद से ज्यादा।

मीडिया रिपोर्ट में ये बताया गया कि ये परिवार सीरियल के प्रभाव में आकर भगवान शिव की आराधना करने लगा। परिवार का उस सीरियल पर बोहोत भरोसा था।

एक दिन उन्होंने ये प्रोग्राम देखा और शिव की आराधना में लग गए। और जब शाम तक शिव नहीं आये तो  उनसे मिलने स्वर्ग जाने के लिए उस परिवार ने सायनाइड (ज़हर) खाकर  आत्महत्या कर ली। 8 लोगों का ये परिवार था जिसमें 5 मर गए।

कहानियां तो बोहोत है हम सबका जिक्र करेंगे तो खत्म नहीं होंगी। क्या ये अंधविश्वास की हद नहीं है।

जो tv पर दिखाई जाने वाली स्टोरी को ही सच मान लिया। और वो भी इस कदर की जान ही दे दी।

तो इन सब बातों के आधार पर हम ये कह सकते हैं कि इन सब tv सीरियल का असर जब बड़ो पे इतना गहरा पड़ता है।

कि वो समझ नहीं पाते कि क्या सही है और क्या गलत और जान तक दे देते हैं तो हम इस बात को नकार नहीं सकते की ये हालात पैदा करने में बोहोत बड़ा कारण tv भी है।

दिल्ली की घटना एक 16 साल की लड़की ने अपनी माँ से ये कहा के वो पीरियड के दिनों में मंदिर नहीं जाएगी।

और ना ही रसोई के किसी भी समान को हाथ लगाएगी। वजह सुनकर आप चौंक जाएंगे उसने कहा कि ऐसा करने से पाप लगता है  

और ये एक पढ़ी लिखी साइंस की स्टूडेंट की बात हो रही है ना कि किसी illitrrate की। तो बच्चों पर इसका असर तो और भी गहरा पड़ेगा।

उनका मन तो कोमल है वो अपना विवेक कहाँ लगा पाएंगे। तो सौ बात की एक ही बात है कि बच्चों को इस तरह के सीरियल से दूर ही रखेंगे तो ही आप और  हम सबकी भलाई है।

क्योंकि दोस्तों…बच्चे सिर्फ आपके और हमारे होने के साथ साथ देश के भी है हमारी धरोहर हैं ये।

इनको सहेजना होगा ताकि इनको किसी तरह की कोई क्षति न हो।आज का बच्चा कल का नेता अभिनेता है एक साइंटिस्ट है। या हो सकता है दुनिया मे नाम कमाने वाला कोई खिलाड़ी हो।

अगर हो सके तो खुद भी ये बेकार की चीज़ें देखने से बचें। आजकल तो आप न्यूज़ भी न्यूज़ app के जरिये 5 या 10 मिनट में देख सकते हो।इंटरनेट का जमाना है आखिर।

और वैसे भी television को tell+lie+vision  ऐसे ही नहीं कहा जाता। क्योंकि इसमें बोहोत बड़ी मात्रा में झूठ परोसा जाता है।

कोई इसे ideot box कहता है जो इसके जानकार है उन्होंने कुछ सोचकर ही ये नाम दिए होंगे। एक बात और जब से ये private चैनल आये हैं। तब से तो इन सबमे होड़ सी लगी हुई है।

वैसे आपको जानकर बोहोत हैरानी होगी दुनिया के जो टॉप अमीर आदमी है। वो tv कभी नहीं देखते।

वैसे भी उनके पास टाइम नहीं है लेकिन जितना टाइम है वो उसमे भी tv नहीं देखतेसच तो ये है कि  आज एक औसत मानसिकता वाला आदमी ही tv देखता है।

YouTube aur Television mein difference | YouTube aur TV mein kya better hai

बुद्धिमान आदमी टेलिविजन कभी नहीं देखता। और जो आदमी दिन में 1 घण्टे से ज्यादा tv देखता है।

कहीं न कहीं उसकी समझदारी, सूझ-बूझ, महत्वपूर्ण कौशल कला और विश्लेषण की क्षमता, गलत सूचना विस्तार को impact करते हुए गलत निर्णय लेने के chance को बढ़ा देती है।

देखा जाए तो एक तरह से हमारा ब्रेन wash हो रहा है। हम सही गलत का निर्णय सटीक रूप से नहीं ले पाते।बोहोत तगड़ा गेम खेल रही हैं ये कंपनियां।

आप देखेते है tv पे ऐड बोहोत ज्यादा आते है। उसमें हर प्रोडक्ट को बढ़ा चढ़ा कर पेश किया जाता है।

ये ऐड देखने के बाद आप वो नहीं खरीदते जो खरीदना चाहते है फिर आप वो खरीदते है जो वो आपसे खरीदारी करवाना चाहते हैं।

विज्ञापन इंडस्ट्री अरबों रुपये की है जिसमे सिर्फ और सिर्फ वो इस बात पे खर्चा करते हैं कि ग्राहक उनका समान कैसे खरीदे।

अगर इतना खर्चा वो प्रोडक्ट की quality को बेहतर बनाने में खर्च करें तो कितना बढ़िया हो जाए।तो अब बात आती है तो ऐसे में क्या करें। इसका सबसे बढ़िया और आसान साधन है

youtube benefits for students | YouTube aur Television mein difference

आज समय तेजी के साथ बदल रहा है। तो इसी के साथ लोंगों की choice भी बदल रही है। पहले लोगों के पास ऑप्शन नहीं था।

लेकिन आज जो लोग बड़ा सोचते है और कुछ बड़ा करना चाहते हैं वो लोग youtube पर शिफ्ट हो चुके है।

ऐसे हालात में आपके पास भी यही रास्ता है कि आप भी यहाँ  शिफ्ट हो जाएं। यहाँ वीडियो देखने का अपना एक अलग मजा है यहाँ कोई ऐड का झंझट भी नहीं।

अगर थोड़े बोहोत है भी तो आप  उन्हें skip कर सकते हैं कोई टाइम वेस्टिंग नहीं आप यहाँ वो देख सकते हो जो आप देखना चाहते हो।

वो नहीं जो multinational कंपनियां आपको दिखाना चाहती हैं यहाँ आपकी कोई मज़बूरी नहीं।

दुनिया भर की ispirational, motiwational स्टोरी, फिल्में बॉयोग्राफी यहाँ सब कुछ available है।

इस तरह की वीडियो देखिये जो आपकी जिंदगी में कुछ value create करें। आपके जीवन के स्तर को बढ़ाएं।

जो आपको जिंदगी में कुछ आगे बढ़ने में सपोर्ट करें ।यहाँ पर ये नही के इसे आप घर पर ही देख पाएंगे।

अपने मोबाइल में कभी भी कहीं भी इसको आप देख सकते हैं। एक से बढ़िया एक content आपको यहाँ बस एक क्लिक पर उपलब्ध है।

इस तरह की मोटिवेशनल बॉयोग्राफी या मोटिवेशनल वीडियो जो आप यूट्यूब पर देखेंगे ये आपके जीवन को सकारात्मकता से भर देंगे।

और पता चल पाएगा के successfull लोगों का thoat प्रोसेस क्या है वो कैसे सोचते है और सिर्फ सोचते ही नहीं कैसे वो लोग ये सब अपनी लाइफ में इम्प्लीमेंट करते है

किसी ने कहा है कि negative in negetive out positive in positive out जैसा अंदर जाएगा वैसा बाहर आएगा।

जब हम देखेंगें ही नेगेटिव content तो अगर लाइफ भी नेगेटिविटी से भर जाए तो आश्चर्य नहीं होना चाहिये। इसलिए पॉजिटिव रहिये, पॉजिटिव सोचिये, और पॉजिटिव देखिये,

faq YouTube aur TV mein kya better hai

Kaun सा better है—YouTube ya TV?

ये आपकी जरूरत पर निर्भर करता है—फ्रीडम, वैरायटी चाहिए तो YouTube, साथ में एंटरटेनमेंट चाहिए तो TV बेहतर है।

YouTube aur TV ke common नुकसान kya hain?

दोनों पर ज़्यादा समय बिताने से आँखों और सेहत को नुकसान हो सकता है, और कभी-कभी अनुपयुक्त कंटेंट भी मिल सकता है।

TV dekhne ke kya benefits hain?

टीवी परिवार के साथ देखने का अनुभव देता है, न्यूज, मनोरंजन और एजुकेशनल प्रोग्राम्स एक साथ मिलते हैं।

YouTube ke kya main fayde hain?

यहाँ आप अपनी पसंद का कंटेंट देख सकते हैं, खुद चैनल बना सकते हैं, और कहीं भी कभी भी एक्सेस कर सकते हैं।

YouTube aur TV mein main difference kya hai?

YouTube ऑनलाइन प्लेटफॉर्म है जहां आप जब चाहें, जो चाहें देख सकते हैं; TV पर प्रोग्राम तय समय पर चलते हैं।

YouTube aur TV mein kya better hai? | पूरी तुलना और सही चुनाव यह लेख आपको कैसा लगा? कृपया कमेन्ट कर के बताएँ और यदि आप भी इस लेख में कुछ जोड़ना चाहते हैं तो कमेन्ट के माध्यम से हमें ज़रूर बताएँ धन्यवाद !

यदि आपके पास Hindi में कोई article, story, essay या जानकारी है जो आप हमारे साथ share करना चाहते हैं तो कृपया उसे अपनी फोटो के साथ E-mail करें।

हमारी Id है: radarhindi.net@gmail.com पसंद आने पर हम उसे आपके नाम और फोटो के साथ यहाँ PUBLISH करेंगे। Thanks!

Leave a Comment